IIBM में जिंदगी

एहसासों को व्यक्त करने का एक नया कसब सिख रहा हूं
अपने College के खुशनुमा यादों के कुछ सबब लिख रहा हूं।।
शुरुआत Auditoriam में होने वाले workshop और seminars की।
knowledge के साथ अनुभूति होती थी जिसमे जैसे Life motive बयार की।।
Iibm के बड़े से classrooms में लगी बेंचो की कतारें
Black White Uniforms पहने हम students सारे के सारे।।
जिसपर Programming और IT subjects पढ़ते हुए हमारी खुशनुमा यादें बनती है
मस्ती मजाक और मदद की basis पर जहां कई best friendships पनपती है।
Library में किताबों को खोल कर बातें करना… यह गलती भी इस दौर में हमे प्यारी है
रोज वहां से Newspaper लाना, ये iibm’s life की अलग जिम्मेदारी है।।
Class से बाहर निकलते किसी दोस्त को water bottle भरने के लिए पकड़ाना।
थोड़े biscuits – थोड़े snacks में भी हर एक का हिस्से लगाना।
Communicative और business English के हमारे clear perception…
और हावी होते C++ के लिए वो अपना special prevention.
Maths- Statistics के लिए दिल में दबी रहती है एक डरावनी सी आहट
“OS- SAD-DC” के Oral Time शुरू होने वाली अपनी वो फुसफुसाहट ।
साथ ही SQl और DS के उलझे concepts को समझने का प्रयास।
External – Internal में सरल सवालपत्र मिलने का लगने वाली आस।।
C language -E Commerce और Problem Solving की सुलभ सी सरलता।
पर वही आगे मिलती हुई Java और VB .NET की विरलता।।
ऐसे ही हर रोज कई बातें यादगार बन अविस्मरणीय अतीत में सिमट जाती हैं।
और यूं तन्हा बैठो कभी तो वापस कारवां बन कर दिल से लिपट आती है।।
कभी की हुई वो शरारत, वो मस्ती जिसे अंजाम देकर दूसरे पे नाम डाल देते है ।
ऐसे हर रोज कई किस्सो का हिस्सा बन कर, हर रोज गुजार लेते हैं।।
पर एक आगे आते हुए वो भविष्य की आहट, जब हम साथ नही होंगे
जिंदगी की जिम्मेदारियों को ले, एक साथी यहां तो दूसरा और कही होंगे ।।
Iibm और इसमें बिताए हर पल आंखों को जरूर भींगा जाएंगे।
नई कहानी तो जी रहे होंगे पर शायद इस कहानी से नही निकल पाएंगे।
By: Nishant Kumar Mishra