आज़ादी दिवस

आज यक़ीनन आजादी दिवस है ,पर, वो आजादी है कहा
पूछो इस दिन के बारे में, गरीबी -अभाव है जहाँ |
आज जैसा भारत ही ,स्वतंत्रता सेनानियों का सपना था ?
देखे जरा आजाद भारत के बारे में उनका क्या कहना था |
आज देश में भूखे पेट ,बिन छत के जो जीवन गुजारते है |
नया क्या मिला उनको आजाद भारत में ,
सोचो कैसे वो अपना पेट पालते है |
जो भगत.. राजगुरु और सुखदेव के संग इस वतन के खातिर फांसी के फंदे झूल गये |
वो सुभाष जो आजादी के लिए पूरी दुनिया घूम गये |
आज बस उन सेनानियों के अरमानो का गला घोंटा जा रहा है
भारतीय गणतंत्र के विशाल वृक्ष को, नमकहराम दीमको द्वारा खाया जा रहा है |
गाँधी –नेहरु के सपनो का वो सुन्दर भारत है कहाँ ?
यक़ीनन आज तो आजादी दिवस है पर आजादी है कहा
आज हमारे भारत को भ्रष्टाचार-भेदभाव निगल रहा है
जातिवाद – शोषणवाद के बढ़ते कद को देख हमारा हिमालय पिघल रहा है
आजादी दिवस के दिन जब फूटपाथो पर छोटे –गरीब बच्चे झंडो का विक्रय करते होंगे
इस मार्मिक दृश्य को देख आजाद – बिस्मिल क्या सोचते होंगे ?
एक ओर पैसों के अभाव में डूबा देश का किसान,अपने जिंदगी से पीछा छुड़ा रहा है
वहीँ कुछ घरों,बिस्तरों, सोफों से, नोटों की गडिया जब्त किया जा रहा है
अंग्रेजो से छुटकारा तो मिला पर अनीति ,अनाचार ने कब्ज़ा जमा लिया
गांधी के देश में ही इसने कई गाँधी को भी बेईमान बना दिया |
वो बातें – वो सपने जो भारत,भारतीयों के लिए सोची गई थी
हार रहे है उन खवाबों को, जो लाजपत राय, सरदार पटेल के द्वारा देखि गई थी |
ये सता-भोगी, गद्दार …..मेरे वीर सावरकर के काला पानी की सजा को भूल चुके है
बटुकेश्वर दत्त ,खुदीराम बोस, के सुनहरे सपनो को कुचल चुके है |
चीजें राष्ट्रविकाश की आधारशिला बनी, आज उनका दुरपयोग किया जा रहा है
आरक्षण, समानता को सता तक पहुचने के काम में लिया जा रहा है ||
महसूस करता हूँ मैं, शायद भारत का कानून भी भेदभाव करना सिख गया हैं
दोषी – निर्दोष, करवाई –रिहाई सब पैसों में बिक गया हैं |
ऐसे कल्पना तो कतई किसी ने भी नही किया गया होगा
धनवानों को हर जगह तरजीह मिले ,ऐसा सुझाव किसने दिया होगा |
मेरे वीर शहीदों के मन में जो बसा था, वो भारत है कहाँ
आज तो आजादी दिवस है पर वो आजादी हैं कहाँ |
वो भारत जिसमे हर कोई को दो वक़्त की रोटी और छत मिलती हो
जिसमे हर सांस बिना आपति भारत माता की जय कहती हो
जिस धरा पे अपनापन-प्यार ,सद्भाव की अद्वितीय मिशाल बने
सुख –समृधि, अमन से मिल मेरा भारत और विशाल बने|
मैं अपने हमउम्र युवाओ,और बाकी सब को ललकारता हूँ
मै अपने शहीदों के सपनो का भारत बनाना चाहता हूँ
क्यों न हम अपने शहीदों के सपनो के भारत का निर्माण करें
थोडा ही सही लेकिन चलो हम एक नई शुरुआत करें|
वो भारत जिसमे बस खुशी और अमन बसे
जिसके बुलंद आवाजें पुरे विश्व तले गूंजे
जिस भारत में आमिर गरीब के बीच भेदभाव न रहे
कोई किसी का शोषण न सहे
असल में ये राष्ट्र उसी दिन आजाद हो पायेगा
जब हर भारत वासी अपने घर में बैठ दो वक़्त की चैन से रोटी खा पायेगा |
चलो उस राह की ओर अपना सुन्दर भारत मिलेगा जहाँ
आज तो आजादी दिवस है पर आजादी है कहाँ |
By: Nishant Kumar Mishra