तेरी मुस्कुराहटें

जीत चूका था तमाम एहसासों को ,
 पर तेरी मुस्कुराहटों के आगे हार गया मैं |
नजरंदाजगी की आदत थी मुझको,
 पर तुझपे आकर ठहर गया मैं ||

अब अच्छा सा लगता है तुम्हारे बारे में सोचने पर |
एक सुकून सा महसूस होता है, तुमको एक दफा देख लेने पर ||

अब मैं न कुछ खोने सा लगा हूँ |
कुछ तो है जिसे मैं ढूँढने सा लगा हूँ ||

मैं कुछ गुम होकर भी
नए सपनो और नए उम्मीदों को जी रहा हूँ |
हर दिन – हर सुबह ,
एक नए उमंग -उत्साह का घूँट पी रहा हूँ

तेरे नाम के कुछ शब्द लिखना पसंद आता है |
तेरे लिए वक्त जाया करके भी दिल खुशी से भर जाता है |

बस बढे जा रहा हूँ तेरी ओर,
एक बार भी खुद को नही रोक पाया मैं |
और जीत चूका था तमाम एहसासों को ,
पर तेरी मुस्कुराहटों से हार गया मैं||

तुम्हारे नजरिये जैसे मैं बन जाऊं,
ये बात दिल कह रहा है |
उठ रहा है कुछ लहरों जैसा मेरा शांत चित में ,
मेरे जीने का तरीका बदल रहा है ||

सुनो…मैं बहलाता तो हूँ खुद को,
पर एक बेचैनी सी इस दिल में समां जाती है
तुमको लेकर कई बातें,
कई दफा दिल में उमड़ आती है ||

पनप रही एहससो को, बयाँ करने को मन कहता है |
तुम्हे अपने करीब लाने की उत्सुकता, हर पल दिल में रहता है ||

पर न जाने वो वक़्त कब आएगा, जब तुमसे कुछ कह पाऊंगा|
अपना हाल– ए -दिल, अपने मल्लिका-ए –दिल से सुना पाऊंगा

 बस तेरे साथ बुने हुए कई खवाबों को…
 हकीकत बनाने की उम्मीद लिए जी रहा हूँ मैं |
और जीत चूका था तमाम एहसासों को,
पर तेरी मुस्कुराहटों से हार गया मैं ||

By:Nishant Kumar Mishra

Facebook
Twitter
WhatsApp
Print
Scroll to Top