बिहारी सैनिक और छठ

सब तीज-त्योहार तो संभाल लेते है माई,
पर छठ का बिरह सहना मुश्किल लगता है|
बेचैन हो जाते हैं हम आवे खातिर गाँव,
और मन अधीर हो उठता है ||
आज तुम्हारा बेटा,जंग लड़ रहा है वीर सिपाही बनके|
जान हथेली पे लिए सीना ताने खड़ा है गर्व से वर्दी पहिन के
माई, अबकी बार बहुत याद करेंगे
अपने गंगा माई के घटवा को |
तुम्हरे भरल कोशी को ,
बाबूजी-बबुआ और आस-पड़ोस के सब लोगवा को ||
तुम्ही कहो माई ,
छठ का मोह एगो बिहारी से कबो छूटता है का ?
भले रहे कही ,कौनो रोजगार में …
पवित्र श्रद्धा के डोर कबो टूटता है का ?
अबकी बार फल-दउरा न खरीद पाना
हमको थोडा उदास कर रहा है |
पावन परसादी “ठेकुआ” का स्वाद न लें पाऊंगा
सोच के हमरा मन आह भर रहा है ||
दुःख तो जरुर है अबकी छठ तोहरे पास नही आ रहे |
तोहरे आँचल को छोड़ अपनी भारत माता के सम्मान बचावे जा रहे ||
बहादुर सैनिक के हर फर्ज निभावे का ताकत मिले…
ऐसा आशीष तुम छठी माई से माँगना |
माई, अबकी तुम ख़ुशी ख़ुशी अर्घ्य देना,
अबकी फिर तुम कोशी भरना ||
तुम ये आसरा रखना माई , सलामत रहा तो फिर तुम्हारे आँचल में वापस आऊंगा | तुम्हरे फल से साजल बहंगी फिर अगला साल माथा पर धर के छठ घाट पहुचाऊंगा ||
माई, पर याद रखना माटी के सम्मान में,
तुम्हरा कर्जअदागी बाकी रह जाए |
अगर हो ऐसा की तुम्हरा बेटवा
फिर कभी, तुम्हरे आँचल में वापस ही न आये ||
माई ,फिर भी तुम छठ करना
उस वक़्त भी रहूँगा तुम्हारे साथ,बस तुम महसूस करना |l
हुआ भी ऐसा तो अगले जन्म फिर ,तुम्हारे कोंख से जन्म लूंगा।
बनूँगा फिर तुम्हारा ही बिहारी बबुआ ,फिर तुम्हारे साथ छठ मनाऊंगा||
By: Nishant Kumar Mishra