वो चश्मिश है मेरी

वो चश्मिश है मेरी
वो चश्मिश ही है मेरी।

जिससे चाहत कुछ नही पर,उसे चाहने को दिल करता है।

शामिल नही जिंदगी में जो, पर यादों का भंवर हमेशा शामिल रहता है ।।

एक चेहरा, जिसे मैंने अपने दिल में एक विशेष जगह दी है ।
जिसकी खुशियों की अरदास हजारों बार, उस रब से की है।।

जिसकी सच्चाई और सरलता पर अपना आश्वासन हर बार जता सकता हूं ।
एकतरफा ही सही, पर जिससे सिद्दत से रिश्ता निभा सकता हूं।।

उसको ही बयां करने की छोटी सी कोशिश है मेरी ।
वो चश्मिश है मेरी।।

जिसके शालीनता और संस्कारो ने मुझ पर गहन प्रभाव डाला ।
जिसके खातिर, मैंने कभी खुद को भी संवारा ।

एक ऐसा नाम जिसकी कसम देकर, मेरे यार आज भी मेरी प्रतिबद्धता का सहारा लेते है।
मेरे संजोए पंक्तियां और शब्द जिसके ओर इशारा करते है ।।

वास्तविकता से दूर है, पर कल्पना में जो साथ है।
जिससे करने को मेरे पास, ढेरों बात है ।।

उसको ही बयां करने की छोटी सी कोशिश है मेरी ।
वो चश्मिश है मेरी ।।

एक झुकी नजर और सादगी अदा जिसे सिराखों पे रखता हूं ।
चांद तारों से जिसके बारे मे, बात कर लिया करता हुं ।।

जिसकी मुकुराहट की तुलना किसी और से करना अच्छा नही लगता है ।

 जो वापस लौटे नही, फिर भी हर रोज़ एक इंतजार रहता है।

एक ऐसा बंधन जो शायद न जुड़ा और न टूट पाया ।
मेरा बहुत कुछ होकर भी, जो मेरे नसीब में नही आया ।।

उसी को बयां करने की छोटी सी कोशिश है मेरी ।
वो चश्मिश है मेरी।
हा, वो चश्मिश ही है मेरी।।

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